रहस्य: देवी माँ काली ?

देवी माँ काली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख शक्ति हैं। काली देवी अद्भुत शक्ति, तांत्रिक शक्ति और संहारकारी स्वरूप मानी जाती हैं। वह भयंकर और विनाशकारी रूप धारण करती हैं और सामरिक युद्धों में भी शक्ति की प्रतीक के रूप में पूजी जाती हैं। वह माता पार्वती की दूसरी रूप भी मानी जाती हैं और शिव की पत्नी भी हैं।

काली देवी का नाम “काली” संस्कृत शब्द “काल” से आया है, जो “काला” या “काल” का अर्थ होता हैं। इसे “कालिका” या “कालिका देवी” के रूप में भी जाना जाता हैं। इसे भयंकर और क्रूर रूप में दिखाया जाता हैं, जिसे बहुतायत मां दुर्गा के एक तेजस्वी रूप के रूप में वर्णित किया गया हैं। वह मान्यता हैं कि जब दुर्गा ने राक्षस राजा महिषासुर का वध किया, तो उनका क्रोध और उनके अंदर की विकराल शक्ति को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने काली का रूप धारण किया।

देवी काली की प्रतिष्ठा

काली की प्रतिष्ठा विभिन्न तांत्रिक साधनाओं में होती हैं और वह बहुत से अनुयायियों द्वारा पूजी जाती हैं। उन्हें देवी माँ काली के द्वारा प्राप्त होने वाली शक्ति को प्राप्त करने की आकांक्षा होती हैं। काली को भक्ति, साहस, धैर्य, न्याय और शक्ति की देवी के रूप में माना जाता हैं। देवी काली असहाय, शोषित समाज को शक्ति प्रदान करने का कार्य करती हैं। नंबरोलॉजी में देखा गया विशिष्ट गणितीय अंक “13” और टैरो कार्ड में “द डेथ” देवी काली का ही प्रतीक है। सार्वभौमिक रूप में देवी काली न केवल धरती पर बल्कि अंधकार रूप में संपूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान हैं।

काली के चित्रों और प्रतिमाओं में वह एकसंहारकारी   देवी के रूप में दिखाई देती हैं, जिसके चार हाथ होते हैं और हर एक हाथ में उनके प्रशंसा के लिए एक त्रिशूल या खडग होता हैं। उनकी चेतना लाल वर्ण की होती हैं और उनके सिर पर मुख्यतः अनन्त भयंकरता को प्रकट करने वाला मुख होता हैं। उनके चित्रों में वह अक्षमाला, नीलमणि या तांत्रिक जपमाला, नाग-फण और भयंकर दृष्टि धारण करती हैं।

काली की पूजा में विभिन्न मंत्रों, आरतियों और विधियों का पालन किया जाता हैं। इन आराधनाओं के माध्यम से भक्त उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और उनके जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देते हैं।